प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से ऋषिगंगा में बनी झील के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को रेस्क्यू आपरेशन के लिए जिन भी संसाधनों की जरूरत पड़ेगी, उसे तत्काल बताएं। चमोली के रौंठी पर ऋषिगंगा में मलबे की वजह लगभग सात सौ मीटर झील बन चुकी । हालांकि, पानी का रिसाव भी हो रहा है, ऐसे में विशेषज्ञ खतरा टलने की संभावना जता रहे हैं। लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि झील से लगभग 13 किमी नीचे रेस्क्यू अभियान चल रहा है, यदि यकायक झील फटती है तो इससे काम प्रभावित हो सकता है। रविवार को मोदी व शाह ने सीएम से फोन कर रेस्क्यू अभियान के साथ ही झील के बारे में अपडेट लिया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उन्हें पूरी स्थिति से वाकिफ कराया और बताया कि लापता व्यक्तियों में अब तक लगभग 50 लोगों के शव मिल चुके हैं। प्रभावित गांवों में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करा दी हैं। जिला प्रशासन की टीमें उनसे लगातार संपर्क में हैं और जो भी वे मदद मांग रहे हैं, उन्हें उपलब्ध कराया जा रहा है। सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि पहाड़ में अभी मौसम ठीक नहीं है, जिससे आपदा की वजह जानने को गठित टीम अभी सर्वे नहीं कर पाई है। जैसे ही मौसम ठीक होगा तो टीम मौके के लिए भेजी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से ऋषिगंगा में बनी झील के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को रेस्क्यू आपरेशन के लिए जिन भी संसाधनों की जरूरत पड़ेगी, उसे तत्काल बताएं। चमोली के रौंठी पर ऋषिगंगा में मलबे की वजह लगभग सात सौ मीटर झील बन चुकी । हालांकि, पानी का रिसाव भी हो रहा है, ऐसे में विशेषज्ञ खतरा टलने की संभावना जता रहे हैं। लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि झील से लगभग 13 किमी नीचे रेस्क्यू अभियान चल रहा है, यदि यकायक झील फटती है तो इससे काम प्रभावित हो सकता है। रविवार को मोदी व शाह ने सीएम से फोन कर रेस्क्यू अभियान के साथ ही झील के बारे में अपडेट लिया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उन्हें पूरी स्थिति से वाकिफ कराया और बताया कि लापता व्यक्तियों में अब तक लगभग 50 लोगों के शव मिल चुके हैं। प्रभावित गांवों में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करा दी हैं। जिला प्रशासन की टीमें उनसे लगातार संपर्क में हैं और जो भी वे मदद मांग रहे हैं, उन्हें उपलब्ध कराया जा रहा है। सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि पहाड़ में अभी मौसम ठीक नहीं है, जिससे आपदा की वजह जानने को गठित टीम अभी सर्वे नहीं कर पाई है। जैसे ही मौसम ठीक होगा तो टीम मौके के लिए भेजी जाएगी। क्षति का अभी नहीं किया आंकलन: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता रेस्क्यू आपरेशन और पीड़ितों की मदद करना है। इसी अभियान में पूरी मशीनरी को लगाया गया है। आपदा में क्षति का आंकलन फिर किया जाएगा। अभी सिर्फ प्रारंभिक आंकलन है, संबंधित विभाग इसे तैयार करेंगे। उधर, विभिन्न विभागों ने जो प्रारंभिक अनुमान निकाला है उसके हिसाब से दोनों हाइड्रो प्रोजेक्ट समेत 1800 से 2000 हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है। हालांकि, बाद में यह बढ़ भी सकता है। लापता को मृतक घोषित करने जल्द मिलेगी इजाजत: आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने बताया रजिस्टार जनरल आफ इंडिया से लापता व्यक्तियों को मृत घोषित करने की इजाजत जल्द मिल सकती है। मौजूदा समय में सात साल बाद ही लापता व्यक्ति को मृत माना जाता है। या फिर लापता व्यक्ति के परिजनों को जिला जज की अदालत में जाना होता है। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद केंद्र ने लापता लोगों को जल्द मृतक घोषित करने के लिए जन्म मृत्यु के नियमों में संशोधन किया था। राज्य ने 2013 की आपदा के तर्ज पर यह छूट देने का आग्रह किया है।